शक्ति का गलत दिशा में प्रयोग ही पाप है
दुनिया में केवल शक्ति सम्पन्न होने मात्र से ही कोई भी पूज्यनीय और वन्दनीय नहीं बन जाता है अपितु उस शक्ति का सही प्रयोग और समय पर प्रयोग करने वालों को ही युगों युगों तक स्मरण रखा जाता है।अथाह शक्ति सम्पन्न होने पर भी माँ दुर्गा ने अपनी सामर्थ्य का प्रयोग कभी भी किसी निर्दोष को दण्डित करने हेतु नहीं किया बल्कि केवल और केवल आसुरी वृत्तियों के नाश के लिए ही किया।
शक्ति का गलत दिशा में प्रयोग ही तो पाप है, साधन शक्ति सम्पन्न हो जाने पर कायर बनकर चुप बैठ जाना यह भी एक प्रकार से असुरत्व को बढ़ाने जैसा ही है। अपनी समस्त शक्ति व साधनों को मानवता की रक्षा में लगाने की प्रेरणा हमें माँ जग जननी भगवती से लेनी होगी तभी हम माँ के पुत्र कहलाने योग्य होंगे।