जीवन यदि सुखद नहीं है तो अपनी सोच और स्वभाव को बदलें



 जीवन यदि सुखद नहीं है तो अपनी सोच और स्वभाव को बदलें जिस दिन आप ने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन आपका अभाव मिट जायेगा।

जीवन को दो तरीकों से सुखद बनाया जा सकता है पहला यह है कि जो आपको पसंद है उसे प्राप्त कर लें या जो प्राप्त है उसे पसंद कर  लें।

अगर आप भी उन व्यक्तिओं में से एक हैं जो प्राप्त को पसंद नहीं करते और ना ही पसंद को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं तो आपने स्वयं ही अपने सुखों का द्वार बंद कर रखा है।

सुख प्राप्त करने की चाह में आदमी मकान बदलता है, दुकान बदलता है कभी-कभी देश बदलता है तो कभी-कभी भेष भी बदलता है लेकिन अपनी सोच और स्वभाव बदलने को राजी नहीं है।

भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलें जिस दिन आदमी ने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन उसका अभाव मिट जायेगा।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें