जब तक चोट नहीं लगती तब तक भजन नहीं होता


महाराज जी भक्तों को उपदेश दे रहे हैं कि चोट नहीं लगती तब तक भजन नहीं होता, महाराज जी के इस उपदेश की अनुभूति उन्होंने कुछ भक्तों को कराई भी होगी इसके उपरांत भक्त अपने कल्याण के पथ पर चल सकता है यदि वो आगे भी सच्चे भाव से भक्ति करता रहे। हमारे कर्मों के फलस्वरूप चोट तो हम सभी को जीवन में कभी ना कभी लगती ही है।

इसकी तीव्रता, अवधि और कितनी बार होना है ये ईश्वर तय करते हैं (जिसमें अंततः हमारा हित निहित होता है) और महाराज जी के सच्चे भक्तों के सन्दर्भ ये समय महाराज जी के हुकुम से भी होता है। कभी- कभी मुसीबत/ चोट/ संघर्ष के अधिक तीव्र होने के फलस्वरूप महाराज जी भक्त को सच्ची भक्ति का मार्ग भी दिखा देते हैं।

ऐसे समय को सहना पीड़ादायक हो सकता है परन्तु यदि भक्त में उसे पार करने की इच्छाशक्ति है, धैर्य है तो ये संभव है। इसके उपरांत ये भी संभव है की महाराज जी की कृपा से उसे अपने जीवन का उद्देश्य समझ में आ जाए जीवन को सार्थक बनाने के लिए महाराज जी की प्रेरणा से फिर वो वैसे ही कर्म करता है, जीवन में शांति भी आ सकती है


महाराज जी सबका भला करें!

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