प्रधानमंत्री मोदी ने जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के साथ की बातचीत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायतों और पानी समितियों/ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) के साथ बातचीत की। उन्होंने हितधारकों को और जागरूक बनाने तथा मिशन के तहत योजनाओं की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जल जीवन मिशन ऐप का शुभारंभ किया। उन्होंने राष्ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत कीजहां कोई भी व्यक्तिसंस्थानिगमया परोपकारीचाहे वह भारत में हो या विदेश मेंप्रत्येक ग्रामीण घरस्कूलआंगनबाड़ी केंद्रआश्रम शाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से जल पहुँचाने में मदद करने के लिए योगदान दे सकता है।

इस अवसर पर ग्राम पंचायतों एवं पानी समितियों के सदस्यों सहित केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावतप्रहलाद सिंह पटेलबिश्वेश्वर टुडूराज्यों के मुख्यमंत्री एवं मंत्री उपस्थित थे।समितियों से बातचीत करते हुये प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के उमरी गांव के  गिरिजाकान्त तिवारी से उनके गांव में जल जीवन मिशन के प्रभाव के बारे में पूछा। तिवारी ने बताया कि अब साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध है तथा इसके कारण गांव की महिलाओं के जीवन में भी सुधार आया है। प्रधानमंत्री ने तिवारी से पूछा कि क्या उनके गांव वालों को यह भरोसा था कि उन्हें नल द्वारा पानी मिलने लगेगा और अब वे कैसा महसूस करते हैं। तिवारी ने बताया कि गांव के हर घर में शौचालय बन गये हैं और सभी उनका इस्तेमाल करते हैं। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड के ग्रामीणों की उनके समर्पण के लिये सराहना की और कहा कि महिलायें शक्ति सम्पन्न हो रही हैं तथा प्रधानमंत्री आवास योजनाउज्ज्वला और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के जरिये उन्हें वह सम्मान मिल रहा हैजिसकी वे हकदार हैं।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के पिपली गांव के रमेशभाई पटेल से उनके गांव में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या पानी की गुणवत्ता की नियमित रूप से जांच होती या नहीं। रमेशभाई ने बताया कि पानी की गुणवत्ता बढ़िया है और गांव की महिलायें खुद पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिये प्रशिक्षित हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि लोगों को पेयजल के लिये भुगतान करना पड़ता है या नहीं। रमेशभाई ने बताया कि पानी के मूल्य के बारे में गांवों को स्पष्ट जानकारी है और उसके लिये भुगतान करने के लिये सब राजी हैं। प्रधानमंत्री ने पानी बचाने के लिये स्प्रिंक्लरों और पानी की बूंद-बूंद द्वारा (ड्रिप) सिंचाई के बारे में सवाल किया। प्रधानमंत्री को बताया गया कि गांव में सिंचाई के लिये अभिनव तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। स्वच्छ भारत 2.0 का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों ने स्वच्छता अभियान को अत्यधिक समर्थन दिया है और उन्हें उम्मीद है कि जल जीवन मिशन को भी यही सफलता मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की कौशल्या रावत से जल जीवन मिशन के पहले और बाद में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। रावत ने भी बताया कि जल जीवन मिशन के जरिये पानी उपलब्ध होने से पर्यटकों ने उनके गांव में आना शुरू कर दिया है और वहां घरों में ठहरने भी लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है। प्रधानमंत्री ने वन-संवर्धनपर्यटन में सुधार और होम-स्टे जैसी गतिविधियों को अपनाने के लिये रावत और गांवों की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के वेल्लेरी की सुधा से जल जीवन मिशन के प्रभाव के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि मिशन के शुरू होने के बाद से सभी घरों में नल द्वारा पीने का पानी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने उनके गांव में तैयार की जाने वाली विश्व-प्रसिद्ध अरनी सिल्क साड़ी के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने यह भी पूछा कि क्या पानी का कनेक्शन मिलने से घर के दूसरे कामों के लिये उन्हें समय मिलता है कि नहीं। सुधा ने बताया कि पानी की उपलब्धता ने उन सबके जीवन में सुधार किया है और उनके पास अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिये समय रहता है।

उन्होंने बताया कि उनके गांव में कच्चे बांधोंपोखरोंआदि के निर्माण के जरिये बरसात के पानी को बचाने जैसी गतिविधियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों द्वारा जल मिशन को अपनाना महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। मणिपुर की लैथन्थेम सरोजिनी देवी के साथ बातचीत में मोदी को यह बताया गया कि पहले पानी काफी दूरी पर और लंबी कतारों में ही उपलब्ध होता था। अब स्थिति में सुधार हुआ है क्योंकि सभी घरों में पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है। सरोजिनी देवी जी ने यह भी बताया कि खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) और पानी की आपूर्ति की पूर्ण कवरेज वाला गांव बनने से यहां के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके गांव में पानी की गुणवत्ता का नियमित परीक्षण एक मानक बन गया है और इसके लिए पांच महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार लोगों के जीवन को आसान (ईज ऑफ लिविंग) बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पूर्वोत्तर में वास्तविक परिवर्तन हो रहा है।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री के ह्रदय में भारत के गांव ही बसे थे। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज के दिन देशभर के लाखों गांवों के लोग ‘ग्राम सभाओं’ के रूप में जल जीवन संवाद का आयोजन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन का विजन सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाना नहीं है। यह विकेंद्रीकरण का भी एक बड़ा आंदोलन है। उन्होंने कहा, “यह एक गांव द्वारा संचालितमहिलाओं द्वारा संचालित आंदोलन है। इसका मुख्य आधार जनआंदोलन और जनभागीदारी है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गांधी कहा करते थे कि 'ग्राम स्वराजका वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसलिए मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की यह सोच सिद्धियों की ओर बढ़े। मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पने कार्यकाल के दौरान ग्राम स्वराज के लिए किए गए उपायों जैसे कि खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) गांवों के लिए निर्मल गांवगांवों में पुरानी बावड़ियों और कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए जल मंदिर अभियानगांवों में चौबीस घंटे बिजली के लिए ज्योतिग्राम,  गांवों में सौहार्द के लिए तीर्थ ग्रामगांवों में ब्रॉडबैंड के लिए ई-ग्राम की याद दिलायी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में भी उन्होंने विभिन्न योजनाओं के नियोजन और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को शामिल करने का काम किया। उन्होंने बताया कि इसके लिएविशेष रूप से पानी और स्वच्छता के लिएढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायतों की शक्तियों के साथ-साथ उनके कामकाज की पारदर्शिता पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन और पानी समितियां ग्राम स्वराज के प्रति केन्द्र सरकार की वचनबद्धता का एक प्रमुख उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने पानी की समस्या को लेकर प्रचलित धारणाओं का उल्लेख करते हुए कहा फिल्मोंकहानियों एवं कविताओं का संदर्भ दिया और कहा, “हमने बहुत सी ऐसी फिल्में देखी हैंकहानियां पढ़ी हैंकविताएं पढ़ी हैं जिनमें विस्तार से ये बताया जाता है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं। कुछ लोगों के मन मेंगांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है। लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता हैआखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता?” उन्होंने कहा, “मैं समझता हूंजिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी थीउन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शायद पूर्व के नीति नियंताओं को इस वजह से पानी का महत्व समझ में नहीं आया कि े पानी की प्रचुरता वाले क्षेत्रों से आते थे। मोदी ने कहा कि वह गुजरात जैसे राज्य से हैं जहां उन्होंने अधिकतर सूखे की स्थिति देखी है। उन्होंने यह भी देखा है कि पानी की एक-एक बूंद का कितना महत्व होता है। इसलिए गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुएलोगों तक जल पहुंचाना और जल संरक्षणउनकी प्राथमिकताओं में रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से लेकर 2019 तकदेश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद सेपांच करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। आकांक्षी जिलों में नल के पानी के कनेक्शन की संख्या 31 लाख से बढ़कर 1.16 करोड़ हो गयी है।

मोदी ने कहा कि पिछले सात दशकों में जो काम हुआ थाआज के भारत ने सिर्फ दो साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। उन्होंने कहा, “मैं देश के हर उस नागरिक से कहूंगा जो पानी की प्रचुरता में रहते हैंकि आपको पानी बचाने के ज्यादा प्रयास करने चाहिए और निश्चित तौर पर इसके लिए लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में देश की बेटियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। घर और स्कूल में टॉयलेट्ससस्ते सैनिटेरी पैड्स से लेकरगर्भावस्था के दौरान पोषण के लिए हजारों रुपए की मदद तथा टीकाकरण अभियान से ‘मातृशक्ति’ और मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि गांवों में बने ढाई करोड़ घरों में से अधिकतर महिलाओं के नाम पर हैंउज्ज्वला योजना ने महिलाओं को धुएं से भरी जिंदगी से मुक्ति दिलाई है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर मिशन से जोड़ा जा रहा है और पिछले सात वर्षों में इन समूहों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। मोदी ने यह भी बताया कि 2014 से पहले के पांच वर्षों की तुलना में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को प्रदान की जाने वाली सहायता में पिछले सात वर्षों में 13 गुना वृद्धि हुई है।

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