सच्ची भक्ति पाने के लिए गुरु की कृपा चाहिए होती है
सूफी संत अमीर ख़ुसरो ने जीवन में गुरु के महत्त्व के बारे में लिखा था तन - मन- धन बाजी लगे रे, धन - धन मोरे भाग बाजी लगे रे, लागी - लागी सब कहें, लागी लगी न अंग, लागी तो जब जानिए, जब रहे गुरु के संग !!
इसकी व्याख्या संभवतः इन शब्दों में संभव है मैंने भक्ति में अपना तन - मन- धन अर्पण कर दिया, मेरे भाग्य में सुख आया जो क्षणिक था, धन -संपत्ति भी आई (लेकिन फिर भी कुछ बाकी ही रहा), भक्ति की बातें तो बहुत लोग करते है, (लेकिन) सच्ची भक्ति ऐसे कहने से ही प्राप्त नहीं होती, सच्ची भक्ति पाने के लिए गुरु की कृपा चाहिए होती है, आशीर्वाद चाहिए होता है गुरु का संग चाहिए होता है।
हम भाग्यशाली हैं की महाराज जी जैसे गुरु का सानिध्य हमारे लिए इस जन्म में संभव हो पाया है परन्तु इसका वास्तविक लाभ हमें तभी मिलेगा जब हमारे भाव महाराज जी के लिए सच्चे
होंगे और हम उनके उपदेशों पर धैर्यपूर्वक और ईमानदारी से चलने का निरंतर
प्रयत्न करते रहेंगे।