राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा 05 वर्ष के संचालन हेतु MOU पर किए गए हस्ताक्षर
लखनऊ। राष्ट्रीय
डेरी विकास बोर्ड द्वारा ‘‘डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट‘‘ के रूप मे वाराणसी
दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड उत्तर प्रदेश को 05 वर्ष की अवधि के
संचालन हेतु राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), दुग्ध विकास विभाग,
प्रादेशिक कॉपरेटिव डेरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) लिमिटेड एवं वाराणसी दुग्ध
उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के मध्य ‘‘चतुष्पक्षीय एमओयू‘‘ पर हस्ताक्षर
किए गए। यह कार्यक्रम आज यहां पीसीडीएफ कार्यालय में कैबिनेट मंत्री दुग्ध
विकास, लक्ष्मी नारायण चौधरी की वर्चुअली उपस्थिति में सम्पन्न हंआ।
इस
अवसर पर दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि डेरी
फैडरेशन के सफल संचालन व प्रबंधन के अनुभव को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप वाराणसी एंव निकटवर्ती क्षेत्रों के दुग्ध
उत्पादकों के हितार्थ दुग्ध संघ वाराणसी का संचालन एनडीडीबी को दिया जा रहा
है। इससे डेरी प्लांट की उपयोगिता बढ़ जायेगी जिससे संघ को अधिक से अधिक
मुनाफा होगा। साथ ही प्रदेश के दुग्ध किसानों को विकास करने के नए अवसर
मिलेंगे। यह पहल दुग्ध उत्पादकों के दूध उत्पादन खर्चों को कम करने और
ग्राम स्तर पर निष्पक्ष और पारदर्शी दूध खरीद प्रणाली स्थापित करने मे मदद
करेगी। इसका प्रभाव अन्य दुग्ध संघों पर भी पड़ेगा और वे स्वयं को वर्तमान
बाजार और मांग के अनुसार विकसित कर सकेगें। उन्होंनें कहा कि यह पायलट
प्रोजेक्ट राज्य सरकार एंव पीसीडीएफ लिमिटेड द्वारा अन्य दुग्ध संघों में
भी लागू किया जायेगा।
दुग्ध विकास मंत्री ने कहा कि
यह परियोजना दूध उत्पादकों को उनके दूध की बिक्री के लिए निष्पक्ष और
पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से संगठित बाजार तक पहुंच प्रदान करेगी और छोटे
दूध उत्पादकों की आजीविका को मजबूत करने में योगदान देगी। इससे उपभोक्ताओं
को प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण दूध और दुग्ध उत्पाद उपलब्ध कराने
में मदद मिलेगी तथा मूल्य श्रृंखला में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से
रोजगार पैदा होगा। इस परियोजना से आजीविका गतिविधि के रूप में डेयरी में
संलग्न होने के माध्यम से आय के अवसरों में वृद्धि के साथ महिला सदस्यों के
सशक्तिकरण होगा। प्रमुख सचिव दुग्ध विकास सुधीर गर्ग ने कहा कि एनडीडीबी दुग्ध संघ के उपार्जन को मजबूत करने के लिए
वाराणसी मण्डल एंव राज्य की अन्य दुग्ध उत्पादक कंपनियों से उपार्जित दुग्ध
का संकलन किया जायेगा, जिससे दुग्ध उत्पादकों को बिचोलियों से बचाया जा
सकेगा और दूध और दुग्ध उत्पादों के विपणन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का
निर्माण करने में सहयोग मिलेगा।
उन्होंनें कि यह परियोजना डेयरी संयंत्र के
संचालन के लिए ऊर्जा बचाने और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के लिए स्थायी
विकल्प प्रदान करेगी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, के
अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा कि इस समझौते से दूध की गुणवत्ता और दुधारू
पशुओं की उत्पादकता में सुधार लाने के उद्देश्य से तकनीकी इनपुट और
सलाहकार सेवाएं प्रदान करने, आपूर्ति श्रृंखला के सभी स्तरों पर खरीद से
लेकर वितरण तक स्वच्छ दूध उत्पादन, अच्छी विनिर्माण प्रथाओं को लागू करने
में सहायता मिलेगी।