आधार कार्ड एवं पैन कार्ड जैसे दस्तावेजो में बदलाव, मेरठ पुलिस के लिए कोई अपराध नहीं
मेरठ/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून – व्यवस्था का अजब – गजब हाल हैं।अपराधियों और पुलिस के गठजोड़ से जनता किस तरह से पीड़ित है, इसे समझने के लिए मेरठ जिले में मनोज चौहान के साथ ठगी के मामले को संज्ञान में लेने की जरूरत हैं। पल्लवपुरम थाना के दुल्हैड़ा गांव के मनोज चौहान की जमीन का फर्जी बैनामा हुआ फिर उसके बदले मिले रू.27लाख 35हजार की ठगी हुई। महीनों दौड़ाने के बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट 63/25.3.2021,धारा 420 और धारा 406 पंजीकृत हुई।इसी मामलें में आईजीआरएस के तहत दर्ज हुई शिकायत की जांच में विवेचक अवनीश शर्मा ने मनोज के साथ ठगी होना स्वीकार किया है इसके बावजूद अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं।
11अगस्त को जब इस संदर्भ में ट्वीट किया गया तब मेरठ पुलिस द्वारा जबाब दिया गया कि पल्लवपुरम थाने की पुलिस जांच कर रही है। जब ठगों के खिलाफ पल्लवपुरम थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो चुकी हैं। आईजीआरएस के तहत दर्ज हुई शिकायत की जांच में विवेचक ने ठगी की बात स्वीकार कर लिया है तब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय लीपापोती क्यों हो रही हैं ? 15 अगस्त को इस पूरे मामले से व्हाट्स एप संदेश के जरिए और फिर फोन करके स्वयं मैंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक : मेरठ और पुलिस महानिरीक्षक : मेरठ परिक्षेत्र को भी बता दिया इसके बाद भी ठगों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
इसके अलावा मनोज चौहान अपनी बहन सुमन चौहान और बहनोई ओमकार चौहान के साथ जाकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक : मेरठ , पुलिस महानिरीक्षक : मेरठ परिक्षेत्र और अपर पुलिस महानिदेशक , मेरठ जोन से मिल चुका है लेकिन कोई सक्षम कानूनी कार्रवाई नहीं हुई। जांच के नाम पर पीड़ित मनोज चौहान की आश्रय दाता उसकी बहन सुमन और उसके पति ओमकार से स्थानीय पल्लवपुरम थाना और अन्य अधिकारियों द्वारा कई बार पूछताक्ष हुई लेकिन मामले के आरोपियों को छुट्टा घूमने की छूट दे दी गई है। मायने यह कि मेरठ पुलिस के लिए पीड़ित शिकायतकर्ता ही अपराधी है। आपराधिक कृत्यों में पुलिस यदि गैर कानूनी कार्य करने वालों के साथ खड़ी हो जाए तो इसका कारण आसानी से समझा जा सकता है, जाहिर हैं कि पीड़ित मनोज चौहान के साथ ठगी के मामले में पल्लवपुरम थाने की पुलिस और ठगों ने बीच अंदरूनी समझदारी कायम हो चुकी है।
पल्लवपुरम थाना के दुल्हैड़ा गांव के मनोज चौहान के साथ हुई ठगी के मामले में आधार कार्ड और पैन कार्ड, जो कि भारत सरकार के दस्तावेज हैं, जिसमें बदलाव गैर कानूनी हैं , का रजिस्ट्री में प्रयोग हुआ हैं। मेरठ के पल्लवपुरम थाने ने 25 मार्च को इसको लेकर सूचना प्राप्ति के बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किया. पुलिस ने यह जानने का बिलकुल भी प्रयास नहीं किया कि मनोज को ठगी का शिकार बनाने वालों ने यह बदलाव कहां करवाया ? जिसने भी मनोज के आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे भारत सरकार के दस्तावेजो में बदलाव किया / करवाया , क्या उसने केवल यही एक गैर कानूनी कार्य किया है या वह पेशेवर और संगठित रूप से ऐसे अपराध कर रहा हैं। पुलिस को सक्रियता दिखाकर आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे भारत सरकार के दस्तावेजो में हेराफेरी करने वालों के खिलाफ सक्षम जांच करनी चाहिए और पूरे गिरोह को सलाखों के पीछे पहुंचाना चाहिए लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। पुलिस के इस कार्य – व्यवहार से ठगी के शिकार मनोज चौहान को तो न्याय से वंचित होना ही पड़ा लेकिन ऐसी लापरवाही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करने वाला हैं।
प्रस्तुति : नैमिष प्रताप सिंह