जातीय विद्वेष से काम कर रही योगी सरकार : संजय सिंह
दिल्ली - योगी सरकार में वंचित, शोषित समाज और गरीब तबके के खिलाफ दरिंदगी, हैवानियत और गुंडागर्दी की खुली छूट मिली है। 24 नवंबर को प्रयागराज के फाफामऊ में घटी घटना इसका ताजा प्रमाण है। जब भाजपा पूरे देश में संविधान दिवस मनाने की नौटंकी कर रही थी, तब समाज के अंतिम व्यक्ति को संविधान प्रदत्त सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार का गला घोंटते हुए एक दलित परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई।
इसमें दंपति सहित उसका एक मूक-बधिर बेटा और नाबालिग बेटी भी शामिल है। बेटी की हत्या से पहले उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी हुआ। यह पूरी घटना योगी सरकार, प्रशासन और पुलिस की लापरवाही का परिणाम है। योगी सरकार जातीय विद्वेष से काम कर रही है। ये बातें आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकार वार्ता में कहीं।संजय सिंह ने कहा कि शुक्रवार को प्रयागराज जाकर दिवंगत के भाई से मिला। उनके भाई के परिवार को 2019 से ही प्रताडि़त किया जा रहा था। तब मारपीट के एक मामले में बड़ी मुश्किल से पीड़ित परिवार की ओर से एफआईआर दर्ज कराई जा सकी थी। इस मामले में दो साल बाद भी अब तक पुलिस ने चार्जशीट नहीं फाइल की। इसी परिवार को 2020 में फिर पीटा गया। सितंबर 2021 में फिर इस परिवार के साथ इसी तरह की घटना घटी। हफ्ता भर गिड़गिड़ाने के बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। 24 नवंबर को घटी वीभत्स घटना के पहले तक परिवार न्याय की गुहार लगाता रहा और अंतत: नृशंस तरीके से उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
आप प्रदेश प्रभारी ने कहा कि प्रयागराज का फाफामऊ कांड हाथरस से भी भयानक, भयावह और वीभत्स है। अफसोस की बात है कि अब तक मुख्यमंत्री या उनके किसी मंत्री ने पीड़ित परिवार से मिलना जरूरी नहीं समझा। दिवंगत परिवार के मुखिया के भाई फौजी हैं और देश की सेवा करते हैं। उनकी पत्नी भी इस घटना से डरी हुई हैं। उनका कहना है कि पति घर पर रहते नहीं हैं, ऐसे में उनके साथ भी ऐसी जघन्य वारदात हो सकती है। दरअसल, यह सरकार जातीय विद्वेष से काम कर रही है। योगी की पुलिस जाति देखकर तय करती है कि किसे न्याय दिलाना है और किसी दौड़ाना है। बलिया में जयप्रकाश की हत्या, हाथरस की बेटी का मामला, प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर, मनीष वर्मा हत्याकांड, इंद्रकांत त्रिपाठी का मर्डर, अरुण वाल्मीकि और जितेंद्र श्रीवास्तव की पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं गिनाते हुए संजय सिंंह ने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुकी है। अमित शाह के 16 साल की लड़की के रात के बारह बजे गहने पहनकर यूपी की सड़कों पर घूमने वाले बयान पर पलटवार करते हुए संजय सिंंह ने कहा कि यहां की हालत ऐसी हो चुकी है कि मथुरा में दारोगा भर्ती परीक्षा देकर लौट रही युवती के साथ दिनदहाड़े गैंगरेप हो जाता है।
संजय सिंह ने फाफामऊ कांड की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने की मांग की। कहा कि इस मामले की तेजी से सुनवाई कराकर छह माह में दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए, जिससे कि अपराधियों के मन में कानून का डर बैठे।संजय सिंंह ने कहा कि यूपी में दलितों-वंचितों के संवैधानिक अधिकारों की हत्या का मामला उठाने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अनुसूचित जाति के एक परिवार यह घटना हाथरस की घटना से वीभत्स है ,पोस्टमार्टम में गैंगरेप की पुष्टि हुई है। यह उत्तर प्रदेश सरकार की घोर लापरवाही का परिणाम है। एक जाति विशेष का पक्ष लेने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 से लगातार कई शिकायतों के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी ।
इसके साथ ही फाफामऊ कांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पार्टी रविवार को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करके राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपेगी। संजय सिंंह ने शुक्रवार को मिली जान से मारने की धमकी को लेकर कहा कि मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। मैं भाजपा के लोगों से कहना चाहता हूं कि चाहे तो मेरी हत्या करा दो, मगर सरकार के घोटाले और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता रहूंगा।किसानों के आंदोलन को लेकर हुए एक सवाल के जवाब में संजय सिंंह ने कहा कि वो कृषि कानून वापसी के कागजात मांग रहे हैं तो सरकार को दोनों सदनों में कानून वापस लेकर इससे जुड़े कागजात किसानों को देने चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री की बातों का कोई भरोसा नहीं रह गया है।