पूर्वांचल एक्सप्रेसवे-पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रगति का द्वार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 नवम्बर को देश के वर्तमान में सबसे बड़े पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उदघाटन करेंगे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे मोदी-योगी सरकार की एक प्रमुख परियोजना है जो घनी आबादी के जिलों से गुजरता है। छह लेन के अभिगम नियंत्रित राजमार्ग पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रदेश की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जुड़ जायगा और दिल्ली से से गाजीपुर की यात्रा का समय १० घंटे से कम रह जायगा. इस एक्सप्रेसवे की भविष्य में ८ लेन तक चौड़ा किया जा सकता है .पूर्वांचल एक्सप्रेसवे योगी आदित्यनाथ सरकार का सिग्नेचर प्रोजेक्ट में से एक है। उतर प्रदेश अन्य राज्यों को जिस क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है वह है- शानदार नए ब्लैकटॉप एक्सप्रेसवे।
उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवेज की शुरुवात यमुना एक्सप्रेसवे के साथ हुयी जिसका निर्माण २012 में पूरा हुया था और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जो 2018 में जनता के लिए खोला गया,. उत्तर प्रदेश में चार आगामी हैं- 340 किलोमीटर पूर्वांचल, 296 किलोमीटर बुंदेलखंड, 91 किलोमीटर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे - जो राज्य में एक मूक परिवर्तन की पटकथा लिख रहे हैं, जो कभी अपनी जर्जर सड़क के बुनियादी ढांचे के लिए कुख्यात था। एक बार ये पूरा हो जाने के बाद, यूपी में कुल 1,788 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का नेटवर्क होगा, जो देश में सबसे ज्यादा है। वर्तमान में, भारत में कुल एक्सप्रेसवे नेटवर्क लगभग 1,822 किमी है। देश के अन्य राज्यों में यह आश्चर्य का विषय हो सकता है लेकिन कभी बीमारू राज्यों की सूची में शामिल उत्तर प्रदेश ने 'एक्सप्रेसवे प्रदेश' की उपाधि अर्जित की है। एक्सेस-नियंत्रित सड़क नेटवर्क उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो राज्य सरकार द्वारा अपने एक्सप्रेसवे विस्तार कार्यक्रम को लागू करने के लिए स्थापित एजेंसी है।
चार लेन वाला बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे २०२२ मार्च तक पूरा होने की संभावना है, तय समय से लगभग एक साल पहले। यह चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जैसे क्षेत्र के पिछड़े जिलों को जोड़ेगा। यह न केवल क्षेत्र के दूरदराज के क्षेत्रों को एक्सप्रेसवे नेटवर्क पर लाएगा, यह यात्रा के समय में भारी कटौती करेगा। उदाहरण के लिए, बुंदेलखंड में दिल्ली और चित्रकूट जिले के बीच यात्रा का समय यमुना, आगरा-लखनऊ, पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के माध्यम से अब 12-14 घंटे से घटकर आठ घंटे हो जाएगा। वर्तमान में, दिल्ली और बुंदेलखंड क्षेत्र के बीच कोई सीधा सड़क संपर्क नहीं है। एक्सप्रेसवे ग्रिड दो और एक्सप्रेसवे - गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे के साथ पूरा किया जाएगा। फोर-लेन, 5,876 करोड़ रुपये का गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे गोरखपुर, आजमगढ़, अंबेडकरनगर और संत कबीरनगर को जोड़ेगा, और परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तिथि अप्रैल 2022 है। छह लेन वाला गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ को प्रयागराज(इलाहाबाद) से जोड़ेगा और भूमि अधीग्र्हन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
लखनऊ के चाँद सराय से शुरू ग्रीनफील्ड परियोजना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, आंबेडकर नगर, आजम गढ़, मयु से होते हुए गाजीपुर में समाप्त होगा. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अभिगम नियंत्रित राजमार्ग या एक्सेस कण्ट्रोल हाईवे होने से अनेक लाभ है जैसे ईंधन, समय में बचत, प्रदुषण पर नियंत्रण और मार्ग दुर्घटना में कमी. एक्सप्रेसवे के निकटवर्ती क्षेत्रों में में कृषि ,व्यापार ,पर्यटन और औदोयागिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट शिक्षण संस्थान , नयी टाउनशिप के साथ कमर्शियल संस्थान विकसित करने की योजना है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे मौजूदा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़कर राज्य की पूर्वी सीमा को पश्चिमी सीमा से जोड़ने वाला एक विशाल औद्योगिक गलियारा बन जाएगा, जिससे राज्य का समग्र विकास होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे राज्य के सभी कोनों को भविष्य के लिए तैयार कनेक्टिविटी प्रदान करने वाला एक्सप्रेसवे हैं, यह एक्सप्रेसवे दिल्ली -मेरठ एक्सप्रेसवे (९६ किलोमीटर) से जुड़ जायगा, इस एक्सप्रेसवे को अप्रैल २०२१ से यातायात्र के लिए खोल दिया गया।
- बुंदेलखंड एक्ष्प०रेस्स्वय (२९६ किलोमीटर)
-गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे ९२ किलोमीटर-गंगा एक्सप्रेसवे ५९४ किलोमीटर
लखनऊ-कानपूर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे ६३ किलोमीटर.
उत्तर
प्रदेश में एक्सप्रेसवे के विकास को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए गति
शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ बढ़ावा मिलेगा। इसका उद्देश्य अगले
चार वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन
सुनिश्चित करना है, जिसमें जमीन पर काम में तेजी लाने, लागत बचाने और
औद्योगिक गलियारों, इलेक्ट्रॉनिक पार्कों, अंतर्देशीय जल मार्ग, कृषि
क्षेत्रों और फार्मा क्लस्टर जैसे क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने पर ध्यान
केंद्रित किया गया है। गति शक्ति भारत में विश्व स्तरीय निर्बाध मल्टी
मोडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बनाने के लिए तालमेल लाएगी, जिसमें उत्तर प्रदेश
और राज्य में एक्सप्रेसवे एक अभिन्न अंग हैं। इसमें पूरे देश की मैपिंग के
लिए कॉमन अम्ब्रेला प्लेटफॉर्म गति शक्ति डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण
शामिल है, जिसके माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के बीच वास्तविक
समय के आधार पर समन्वय के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना
बनाई जा सकती है और उन्हें प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से अनेक आर्थिक लाभ होंगे. जिन जिलों से होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे गुजरता है, उन्हें लंबे समय से आर्थिक रूप से अविकसित माना जाता था, जिसमें कृषि सबसे प्रमुख गतिविधि थी। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आगे पश्चिम को तक यह एक्सप्रेसवे तीव्र और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा और इन जिलों से कृषि और अन्य उपज आसानी से और जल्दी से बड़े बाजारों में पहुंचाई जाएगी। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे इन जिलों से एक जिले के एक उत्पाद के लिए बड़ा बाजार मिलने की उम्मीद है। यह एक बड़ी आबादी को उच्च शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक विकास तक पहुंच भी प्रदान करेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे में 22 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 बड़े पुल, 114 छोटे पुल, 6 टोल प्लाजा, 45 वाहन अंडर पास होंगे।
13 हल्के वाहन अंडर पास, 87 पैदल यात्री अंडर पास और 525 बॉक्स पुलिया। का निर्माण किया गया है। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में ग्रामीणों के लिए वरदान बनकर आया है, जहां जमीन की कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सटे सुल्तानपुर के बारादंड गांव के रहने वाले धर्मपाल सिंह ने कहा की हमारे गांव में जमीन की कीमत 2.8 लाख रुपए प्रति बीघा से बढ़कर 5 लाख रुपए प्रति बीघा हो गई है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी जमीन की कीमत इतनी बढ़ जाएगी । एक बीघा लगभग 0.6 एकड़ के बराबर होता है।
(वीरेंद्र नाथ भट्ट ,स्वतंत्र पत्रकार)