दरोगा और दो सिपाही के खिलाफ इंस्पेक्टर ने ही दर्ज करा दिया मुकदमा


अयोध्या। पुलिस विभाग ने केस डायरी गायब होने का मामला सामने आया है। मामला सामने आते ही पूरे जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में इंस्पेक्टर अयोध्या कोतवाली सुरेश पांडेय ने दरोगा व सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार अपने कारनामों से सुर्खियों में रहती है। कुछ ऐसा ही कारनामा जिला अयोध्या के पुलिस विभाग में हुआ है। जिले के थाना कोतवाली नगर में एक मुकदमे की केस डायरी गायब हो गई है। मामले का पता तब चला जब एक मुकदमे में कोर्ट द्वारा पुन: विवेचना व केस डायरी मंगवाने का आदेश दिया गया। मामला सामने आते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
 
वर्ष 2011 में जिले के थाना कोतवाली नगर में भारतीय दंड संहिता की धारा-156 के तहत एक मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मुकदमे की जांच उस समय थाने में तैनात दरोगा श्यामानंद राय सिपाही अच्छेलाल व शोभालाल को दी गई थी। इसी मुकदमे की सुनवाई करते हुए अयोध्या जिला न्यायालय ने मुकदमे में पुन:विवेचना करने के आदेश दे दिया। कोर्ट का आदेश मिलते ही पुलिस ने मामले की पुन:विवेचना शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि केस से जुड़ी हुई केस डायरी गायब है। इस पर जब कोतवाली प्रभारी सुरेश पांडेय ने दरोगा श्यामानंद राय सिपाही अच्छेलाल व शोभालाल से पूछताछ की गई तो डायरी के गायब होने के संदर्भ में कोई भी संतोषजनक जवाब दे पाने में असफल साबित हुए। इसके बाद मामले की जांच सीओ अयोध्या राजेश राय को सौंपी गई। सीओ राजेश राय ने अपनी जांच करके रिपोर्ट एसएसपी अयोध्या को सौंपी।एसएसपी के आदेश पर कोतवाली प्रभारी सुरेश पांडे ने तीनों आरोपियों के खिलाफ केस डायरी गायब होने के संदर्भ में मुकदमा दर्ज करा दिया है। कोतवाली प्रभारी ने कहा कि इन आरोपियों ने केस डायरी को गायब कर दिया जिससे कि अपराधी को मदद मिल सके।
 
केस डायरी गायब होने के चलते अभी तक मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं हुए हैं। हम ने मामला दर्ज कर लिया है और आगे का जांच करते हुए अपराधियों के खिलाफ विभागीय व न्यायिक कार्यवाही की जाएगी। इस समय दरोगा श्यामानंद राय देवरिया में तैनात हैं। वही दोनों सिपाही अयोध्या जिले में ही तैनात हैं।केस डायरी जिसे (अभियोग दैनिकी) भी कहा जाता है। किसी भी अपराधिक मामले में हो रहे जांच का रिकॉर्ड इसी केस डायरी में रखा जाता है। केस डायरी में सारी एंट्री जांच अधिकारी द्वारा दर्ज की जाती है। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 172 के प्रावधान के तहत अन्वेषण करने वाले एक पुलिस अधिकारी को हर एक मामले में प्रत्येक दिन की गई जांच का रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक होता है।एक जांच अधिकारी द्वारा किए गए जांच का रिकॉर्ड तैयार करके रखने में केस डायरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। केस डायरी का उपयोग अदालत में विचारण, परीक्षण व जांच के लिए किया जाता है। हालांकि केस डायरी का मुकदमे की सुनवाई व सबूत के रूप में इस्तेमाल नहीं होता है। अगर दूसरे पक्ष को यह लगता है कि पुलिस जांच ठीक से नहीं की गई है। तो वह अदालत से दरख्वास्त करके केस डायरी की मांग कर सकता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो केस डायरी किसी भी मुकदमे में जज की आधी आंख और कान होता है।

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