राजनीति के चक्कर में बच्चों के साथ अन्याय न करें मुख्यमंत्री - संजय सिंह
लखनऊ : फिरोजाबाद से छपी एक खबर पर आम आदमी पार्टी के सांसद एवं पार्टी के यूपी प्रभारी सांसद संजय सिंह ने योगी सरकार पर हमला बोला है। खबर के मुताबिक अकेले फिरोजाबाद के 1.18 लाख नौनिहाल बिना स्वेटर, जूतों के विद्यालय पहुंच रहे हैं। इसेे लेकर संजय सिंह ने व्यवस्था पर सवाल उठाए। पूछा कि कहांं गया 11 सौ का चेक, कहां गया बच्चों का जूता, मोजा, स्वेटर, ड्रेस? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कक्षा 1 से 8 वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिये जूता, मोजा, स्वेटर, बैग और ड्रेस खरीदने के लिए अविभावकों के खाते में 1100 रुपया भेजने का जोर शोर से प्रचार किया था लेकिन अकेले फिरोजाबाद जनपद में अभी तक 1.18 लाख छात्र छात्राओं को 1100 रुपये नहीं मिल पाए हैं जिसकी वजह से सर्दी में बच्चों को ठिठुरते हुए विद्यालय जाना पड़ रहा है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजनीति के चक्कर में बच्चों के साथ अन्याय ना करें ।
संजय सिंह ने कहा कि बस्ता, जूता-मोजा, स्वेटर और ड्रेस खरीद के लिए स्कूली बच्चों के अभिभावकों के खाते में 1100-1100 भेजकर योगी बस दिखावा कर रहे हैं। एक बच्चे के लिए बस्ता, दो ड्रेस, दो मोजा, एक जूता और स्वेटर अगर सामान्य श्रेणी का भी खरीदें तो 2600 रुपये से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। एक सामान्य शर्ट का मूल्य 358 रुपए है और 398 रुपए की एक पैंट है। पैंट और शर्ट के दो सेट का मूल्य 1512 रुपये है। वहीं, सामान्य क्वालिटी का एक स्वेटर 428 रुपये का है। इसके अलावा एक जोड़ी जूता 250 रुपये और दो जोड़ी मोजा 96 रुपये का है। वहीं, स्कूल बैग 350 रुपये का है। पूरी खरीदारी का कुल मूल्य 2636 रुपये है। ऐसे में गरीब अभिभावक कलेजे पर पत्थर रखकर अपने बच्चों को ठिठुरते हुए स्कूल भेज रहे हैं। अकेले फिरोजाबाद के करीब 1.18 लाख बच्चों का यही हाल है। ऐसे में पूरे प्रदेश में ठंड से ठिठुर रहे बच्चों की संख्या कितनी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हमने कस्तूूूूरबा गांधी विद्यालयों में कोरोना काल में जब विद्यालय बंद थे तब वहां की छात्राओं के भोजन, स्टेशनरी आदि के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद किरकिरी से बचने के लिए सरकार ने सीधे खाते में रुपये भेजने का काम किया, लेकिन इसका कोई लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा। ऐसे में मेरी मुख्यमंत्री से अपील है कि वह बच्चों को ठंड से बचाने का दिखावा न करें, बल्कि जमीन पर काम करें। अभिभावकों को न्यूनतम 2600 रुपये जल्द से जल्द उपलब्ध कराए जाएं।