सूर्य ग्रहण व शनि अमावश्या के समय दान का फल

 
अनाज: समृद्धि में वृद्धि 
काला तिल: शत्रुओं का अंत
छाता: विपत्ति से रक्षा
उड़द की दाल: पितरों की मुक्ति
सरसों का तेल: शनि का प्रभाव समाप्त
सनातन धर्म के अनुसार चार सूतक माने गए हैं जिनमें ग्रहण का सूतक भयंकर परिणाम देता है हिंदू संस्कृति में ग्रहण को अशुभ माना गया है सूर्य और चंद्र के ग्रहण लगने से चर-अचर सभी पर इसका सीधा असर होता है दिसम्बर की चार तारीख़ को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है सूर्य ग्रहण का असर बहुत अधिक अशुभ परिणाम देता है इसलिए सभी को इस समय सूर्य देव को प्रसन्न करने हेतु विशेष दान व पूजन करना चाहिए।

यह सूर्य ग्रहण शनि अमावस्या के दिन होने जा रहा है शनि ग्रह सूर्य के पुत्र हैं शनि के प्रभाव से ग्रसित जातकों के लिए यह अमावस्या अत्यधिक महत्वपूर्ण है यदि, हम दोनों ग्रहों को एक साथ मना लें तो यह सर्वोत्तम होगा। इसीलिए, शनि और सूर्य दोनों हेतु दान करना आवश्यक है जिससे हमारे पितरों को त्रप्ति मिलती है और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

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