सामान्य जीव भगवान को पहचानने में असमर्थ रहता है

 
विशुद्ध अन्तःकरण वाले परमहंस जिनके अन्तस् में भगवान अपनी प्रेममयी भक्ति प्रकट करते हैं वे ही तत्वतः आपको पहचान पाते हैंसामान्य जीव तो भगवान को पहचानने में असमर्थ ही रहता है। भगवान का अवतार असुर संहार, धर्म संस्थापना तथा गो विप्र रक्षा आदि के लिए होता है
 
अवतार का मूलतः उद्देश्य भक्तों का पोषण है। भगवान के अवतार के बाद भक्तों को दोहरा लाभ होता हैएक तो वे अवतार के दर्शन करते हैं तथा दूसरे उनकी लीलाओं का गान करते हैं भक्तियोग विधानार्थ ही भगवान का अवतार होता है।

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