उज्जवला योजना : मतलब महिलाओं के जीवनस्तर में व्यापक सुधार


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महिलाओं के जीवन स्तर में व्यापक रूप से सुधार करने व उन्हें चूल्हे से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए पीएम उज्ज्वला योजना की शुरुआत 2016 में उत्तर प्रदेश से की थी। उज्जवला योजना को 1 मई 2016 को प्रदेश के बलिया में लॉन्च किया गया था। उस समय पांच करोड़ बीपीएल परिवारों की महिला सदस्यों को एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था। अब उज्ज्वला योजना 2.0 की लॉन्चिंग उत्तर प्रदेश के महोबा से की गई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 का लाभ उठाने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

इस योजना का उद्देश्य है भारत में अशुद्ध ईंधन को छोडक़र स्वच्छ एलपीजी ईंधन को बढ़ावा देना  तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना। गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों की महिलाओ को लकड़ी एकत्र करके चूल्हा जलाकर खाना पकाना पड़ता है, इसके धुएं से महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य को हानि होती हैप्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मिलने वाली एलपीजी गैस के इस्तेमाल से महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इस योजना के जरिये महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का मुख्य लक्ष्य है। महिलाएं ही परिवार का भोजन बनाने की चिंता करती हैं। सरकार ने उनकी चिंता और परेशानी को समझते हुए उन्हें मुफ्त में रसोई गैस के कनेक्शन वितरित करने का निर्णय लिया है। केंद्र ने स्वस्थ जीवन- बेहतर जीवन को दृष्टिगत रखते हुए इस योजना को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लाभार्थियों को एलपीजी का कनेक्शन बांटती है। इस योजना का लाभ केवल महिलाएं उठा सकती हैं। आवेदक महिला की उम्र 18 साल होनी चाहिए। साथ ही एक ही घर में इस योजना के तहत कोई अन्य एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए। वर्ष 2016 में शुरू किए गए उज्ज्वला योजना 1.0 के दौरान, गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाले परिवारों की पांच करोड़ महिला सदस्यों को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था। इसके बाद अप्रैल 2018 में इस योजना का विस्तार कर इसमें सात और श्रेणियों -अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पीएमएवाई, एएवाई, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, चाय बागान, वनवासी, द्वीप समूह, की महिला लाभार्थियों को शामिल किया गया।

साथ ही इसके लक्ष्य को संशोधित कर आठ करोड़ एलपीजी कनेक्शन कर दिया गया। इस लक्ष्य को निर्धारित तिथि से सात महीने पहले अगस्त 2019 में ही हासिल कर लिया गया था। वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में पीएमयूवाई योजना के तहत एक करोड़ अतिरिक्त एलपीजी कनेक्शन के प्रावधान की घोषणा की गई थी। इन एक करोड़ अतिरिक्त पीएमयूवाई कनेक्शन, उज्ज्वला 2.0 के तहत का उद्देश्य कम आय वाले उन परिवारों को जमामुक्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है, जिन्हें पीएमयूवाई के पहले चरण के तहत शामिल नहीं किया जा सका था। वर्ष 2022 तक गाँव के हर परिवार को एक रसोई गॅस कनैक्शन उपलब्ध करना है। उज्जवला योजना के तहत अबतक 01 करोड़ 67 लाख लाभार्थियों को उत्तर प्रदेश में गैस कनेक्शन प्रदान किए गए। वह सभी नागरिक जो इस योजना का लाभ पहले चरण में नहीं उठा पाए उनको इस योजना के दूसरे चरण में लाभ प्रदान किया जा रहा है। प्रवासी कामगार केवल अपना स्वप्रमाणित घोषणा पत्र जमा करके इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जो कि उनके निवास के प्रमाण के रूप में जमा किया जाएगा। इस योजना के पहले चरण में देश में  सन 2016 में लगभग 5 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अप्रैल 2018 में इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया था। जिसमें 7 और कैटेगरी बढ़ा दी गई थी। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत लक्ष्य को 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया गया था।
पिछले 4 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत लगभग 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इन 8 करोड़ कनेक्शनों को मिलाकर अब एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या देश में 29 करोड़ हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना 2.0 के अंतर्गत यह बहुत बड़ा बदलाव किया गया है कि अब सभी राशन कार्ड धारक चाहे वह एपीएल राशन कार्ड धारकों या बीपीएल राशन कार्ड धारकों वह एलपीजी गैस उजला योजना के लिए पात्र माने जाएंगे।

चूल्हे के धुएं से मुक्ति के महाभियान प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 20 लाख महिलाओं की जिंदगी बेहतर होगी। इस योजना के दूसरे चरण में देश में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना 2.0 में सूबे के 10 जिलों बांदा, चित्रकूट, हरदोई, अमेठी, फर्रुखाबाद, सोनभद्र, रायबरेली, महोबा, बदायूं और फतेहपुर को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू किये जाने के बाद गैस की उपलब्धता को आसान बनाने के लिए भी सरकार ने प्रयास किया है जिससे कि समय पर बिना लाइन के गैस मिल सके। 2014 के पहले रसोई गैस के कनेक्शन के लिए भटकना पड़ता था, रुपये खर्च करके भी कनेक्शन नहीं मिल पाता था। कनेक्शन मिल गया तो गैस का भरोसा नहीं था। गैस लेने केलिए  रात से ही लाइन लगानी पड़ती थी। जब सुबह नंबर आता था, तो सिलेंडर खत्म होने की सूचना मिलती थी। इसका विरोध करने लाठियां खानी पड़ती थीं लेकिन, अब समय बदल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैस कनेक्शन मुफ्त कर दिया है। घर-घर रसोई गैस पहुंच रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जवला योजना से गरीबों के जीवन में सुधार ही नहीं बल्कि उनके भविष्य संवारने में नयी राह दिखायी है। इस योजना के कारण ही तमाम तरह की उन बीमारियों से निजात मिल गयी है जो बीमारियां चूल्हे से खाना बनाने के दौरान मिल जाती थी। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना वरदान साबित हो रही है।

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