आर्थिक रिकवरी के साथ उत्पादन भी हुआ तेज


जनवरी, 2020 में देश में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद से ही भारत में आर्थिक रिकवरी की प्रगति का आकलन करने के लिए उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों यानी हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर (एचएफआई) पर करीबी नजर रखी जा रही है। नवीनतम जानकारी से यह संकेत मिलता है कि 22 एचएफआई में से 19 एफपीआई के मामले में पूर्ण रिकवरी हासिल कर ली गई है, क्योंकि सितंबर/अक्टूबर/नवंबर, 2021 में उनका नवीनतम स्तर वर्ष 2019 के समान महीनों में उनके महामारी-पूर्व स्तर से अधिक रहे हैं।

19 एफपीआई में से कुछ ऐसे संकेतक हैं जिनकी रिकवरी 100 प्रतिशत से काफी अधिक आंकी गई है। इन संकेतकों में संख्याए की दृष्टि से ई-वे बिल, वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात, कोयला उत्पादन, रेल माल ढुलाई, इत्याकदि शामिल हैं। इनसे यह पता चलता है कि न केवल रिकवरी पूरी तरह से हो गई है, बल्कि आर्थिक विकास अब उत्पादन के महामारी-पूर्व स्तरों से भी आगे निकल रहा है। इसकी पुष्टि हाल ही में वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमानों से भी होती है, जिस दौरान सालाना आाधार पर सही मायनों में दर्ज की गई 8.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर की बदौलत कुल उत्पादन स्तर वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के महामारी-पूर्व उत्पादन स्तर से भी अधिक हो गया है।

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